नई दिल्‍ली।एजेंसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘राष्‍ट्रीय हथकरघा दिवस’ समारोह में भाग लिया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि हमारे परिधान, हमारा पहनावा हमारी पहचान से जुड़ा रहा है. देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी साथियों से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों तक, मरुस्थल से लेकर समुद्री विस्तार और भारत के मैदानों तक, परिधानों का एक खूबसूरत इंद्रधनुष हमारे पास है.
नेशनल हैंडलूम-डे के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले भारत मंडपम का भव्य लोकार्पण किया गया है और आज हम इस भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहे हैं. भारत मंडपम की इस भव्यता में भी भारत के हथकरघा उद्योग की अहम भूमिका है. पुरातन का नूतन से यही संगम आज के भारत को परिभाषित करता है. ये समय आजादी के लिए दिए गए हर बलिदान को याद करने का है. आज के दिन ‘स्वदेशी आंदोलन’ की शुरुआत हुई थी. स्वदेशी का ये भाव सिर्फ विदेशी कपड़े के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि ये हमारी आर्थिक आजादी का बहुत बड़ा प्रेरक था. ये भारत के लोगों को अपने बुनकरों से भी जोड़ने का अभियान था.
खादी लोकप्रिय हुई
वस्त्र उद्योग को महत्‍ता न देने पर पीएम मोदी ने पिछले सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा, “ये भी दुर्भाग्य रहा है कि जो वस्त्र उद्योग पिछली शताब्दियों में इतना ताकतवर था, उसे आजादी के बाद फिर से सशक्त करने पर उतना जोर नहीं दिया गया. हालात तो ये थी कि खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था. लोग खादी पहनने वालों को हीन भावना से देखने लगे थे. 2014 से हमारी सरकार इस स्थिति और सोच को बदलने में जुटी है. आने वाले दिनों में रक्षाबंधन का पर्व आने वाला हैं, गणेश उत्सव आ रहा है, दशहरा, दीपावली, दुर्गापूजा… इन पर्वों पर हमें अपने स्वदेशी के संकल्प को दोहराना ही है.”

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