नई दिल्ली।एजेंसी
क्या किसी की खूबसूरती की तारीफ में उसे चांद कहना ठीक है? चंद्रयान-3 द्वारा भेजी गई पहली तस्वीरों को देखकर तो नहीं लगता. क्योंकि चांद पर हजारों गड्ढे हैं. हैरानी इस बात की है कि चांद की तो अपनी रोशनी भी नहीं है. वो भी सूरज से ली हुई उधार की रोशनी से चमकता है. पर चांद ऐसा क्यों है. चंद्रमा पर इतने गड्ढे क्यों हैं? कैसे बने?
पृथ्वी और चंद्रमा की कहानी लगभग एकसाथ शुरू होती है. ये बात है करीब 450 करोड़ साल पुरानी. तब से लेकर अब तक दोनों पर लगातार अंतरिक्ष से आने वाले पत्थर, उल्कापिंड गिरते रहते हैं. इनके गिरने से गड्ढे बनते हैं. इन्हें इम्पैक्ट क्रेटर भी कहते हैं. धरती पर अभी तक ऐसे 180 इम्पैक्ट क्रेटर खोजे गए हैं. चंद्रमा पर करीब 14 लाख गड्ढे हैं. 9137 से ज्यादा क्रेटर की पहचान की गई है. 1675 की तो उम्र भी पता की गई है. लेकिन वहां हजारों गड्ढे हैं. जिन्हें इंसान देख भी नहीं पाया है. क्योंकि उसके अंधेरे वाले हिस्से में देखना मुश्किल है. ऐसा नहीं है कि चांद की सतह पर मौजूद गड्ढे सिर्फ इम्पैक्ट क्रेटर हैं. कुछ ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से भी बने हैं. करोड़ों साल पहले।
चंद्रमा का वीडियो निर्माण बड़ी उपलब्धि: शिवराज
भोपाल।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा का बनाया गया वीडियो बड़ी उपलब्धि है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ट्वीट कर इस उपलब्धि पर भारतीय वैज्ञानिकों और इसरो की टीम के सभी सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि चन्द्रमा का बनाया गया वीडयो साधारण घटना नहीं है। वास्तव में यह विशेष कार्य है, जो सभी देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है।

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