चंडीगढ़ के चुनाव अधिकारी से धांधली के आरोपों पर चीफ जस्टिस ने खुद पूछे ये तीखे सवाल..

चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में धांधली के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में आज अदालत फिर से बैठेगी और बैलेट पेपर्स की भी जांच की जाएगी। इसके अलावा चुनाव पर भी फैसला लिया जाएगा कि पुराने बैलेट पेपर्स के आधार पर ही मेयर तय हो या फिर नए सिरे से इलेक्शन कराए जाएं। इससे पहले मंगलवार को शीर्ष अदालत में खुद चीफ जस्टिस ने मेयर चुनाव के अधिकारी रहे अनिल मसीह से तीखे सवाल पूछे और कहा कि उनकी हरकतों और बातों से पता चलता है कि चुनाव में उन्होंने गड़बड़ी की है। इसलिए उनके खिलाफ केस चलाया जाए।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद अनिल मसीह से तीखे सवाल पूछे और कहा कि यदि उन्होंने सही जवाब नहीं दिए तो फिर मुकदमा चलाया जाएगा। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘मिस्टर मसीह, हमने वीडियो देखा है। आप कैमरे की तरफ देख रहे थे और बैलेट पेपर्स पर क्रॉस का निशान बना रहे थे। आपने वे निशान क्यों बनाए?’ इस पर मसीह ने जवाब दिया, ‘वोटिंग के बाद मैंने बैलेट पेपर्स पर क्रॉस के निशान बनाए थे। इसकी वजह यह थी कि जिनके साथ छेड़छाड़ हुई थी, उन्हें अलग करके रखना था।’

बैलेट पर सिर्फ साइन करने थे, फिर और कुछ क्यों लिखा?

इस पर चीफ जस्टिस ने अगला सवाल पूछते हुए कहा, ‘वीडियो से यह पता चलता है कि आपने कुछ बैलेट पेपर्स पर क्रॉस बनाया। क्या आपने सच में कुछ बैलेट पेपर्स पर ऐसा लिखा? सही जवाब देना हां या ना।’ इस सवाल पर अनिल मसीह ने हां का जवाब दिया और कहा कि कुल बैलेट पेपर्स पर उन्होंने क्रॉस लिखा था। फिर चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपने उन बैलेट पेपर्स से छेड़छाड़ क्यों की? आपको तो उन बैलेट पेपर्स पर सिर्फ साइन करना था। आपने कहां यह नियम पढ़ा कि बैलेट पेपर्स पर आप कुछ और भी लिख सकते हैं।

जवाब से संतुष्ट नहीं हुए चीफ जस्टिस, बोले- मुकदमा तो चलेगा

इस पर अनिल मसीह ने कैंडिडेट्स पर ही जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि उन्होंने ही बैलेट पेपर्स से छेड़छाड़ की थी। उन लोगों ने मतपत्रों को छीना था और उन्हें खराब किया। अनिल मसीह के इस जवाब से सीजेआई बिलकुल भी संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘मिस्टर सॉलिसिटर इनके खिलाफ केस चलना चाहिए। इन्होंने चुनाव प्रक्रिया में दखल दिया था।’ अब अदालत ने बैलेट पेपर्स ही मंगा लिए हैं, जिनके अध्ययन के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा। इनमें से एक फैसला यह भी हो सकता है कि बैलेट पेपर्स को फिर से गिना जाए या फिर चुनाव ही दोबारा करा लिए जाएं।