कांग्रेस से दलित वोट बैंक बसपा ने छीना था, अब बढ़े भाजपा की ओर

लखनऊ। राजनीति में कब ऊंट किस करवट बैठ जाय, यह कहा नहीं जा सकता। कभी प्रदेश में कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। उसके मुख्य वोट बैंक दलित, मुस्लिम के साथ ही सवर्ण भी थे। धीरे-धीरे बसपा ने दलित वोट को उससे खींच लिया। फिर कांग्रेस सिमटती चली गयी। अब भाजपा ने दलित वोट में सेंधमारी की और बसपा भी शून्य की ओर बढ़ चली है।

कभी प्रदेश की राजनीति में मुख्य भूमिका में रहने वाली कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर विजय हासिल कर सकी थी। यही नहीं उसके वोट प्रतिशत में भी लगातार गिरावट आ रही है। यही नहीं उसके मत प्रतिशत में भी कमी देखी गयी और पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा उसको 1.17 प्रतिशत कम मत मिले और वह 6.36 प्रतिशत पर ही सिमट गयी। 2014 में कांग्रेस को 7.53 प्रतिशत वोट मिले थे और दो सीटों पर उसने जीत हासिल की थी। वहीं 2009 में कांग्रेस ने प्रदेश की 12 लोकसभा सीटों पर विजय हासिल की थी। उसे 18.25 प्रतिशत वोट मिले थे। 2004 में कांग्रेस ने 12.04 प्रतिशत वोट के साथ नौ सीटों पर विजय पायी थी। 1999 में भी प्रदेश में जब भाजपा को 29 सीटें और 27.64 प्रतिशत वोट मिले थे तो कांग्रेस ने 10 सीटों के साथ प्रदेश में 14.72 प्रतिशत मत हासिल किये थे।

इसी तरह 1999 में प्रदेश में 22.08 प्रतिशत मत पाकर 14 सीटें हासिल करने वाली बसपा 19.43 प्रतिशत पर आकर सिमट गयी। सपा के साथ समझौता का परिणाम रहा कि 2019 में बसपा को 10 सीटें हासिल हो गयी। 2014 में 19.77 प्रतिशत मत पाने के बावजूद बसपा को पूरे प्रदेश में एक सीट भी हासिल नहीं हुई थी, जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में 27.42 प्रतिशत मत पाकर प्रदेश में सर्वाधिक मत पाने वाली पार्टी रही। हालांकि सीटें सर्वाधिक सपा ने जीती। 2009 के चुनाव में सपा 23 सीटों के साथ 23.26 प्रतिशत मत पायी थी। वहीं कांग्रेस को 18.25 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं भाजपा को 20.27 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं 2014 में भाजपा ने 42.63 प्रतिशत मत के साथ प्रदेश की 71 सीटों पर कब्जा जमा लिया, जबकि कांग्रेस के मत प्रतिशत में 10.75 प्रतिशत की कमी आयी और 7.53 प्रतिशत पर अटक गयी।

अब न तो बसपा के उठने के कोई आसार दिख रहे हैं और न ही प्रदेश में कांग्रेस का कोई जनाधार बढ़ता दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि वर्तमान भाजपा का है। इस आंधी में पूरा विपक्ष हिलोरें ले रहा है। अब आने वाले समय में जो हो, लेकिन अभी तक तो बसपा और कांग्रेस लड़ाई से बाहर ही दिख रहे हैं।