‘अगर गंभीर से नहीं लड़ता तो मेरा बैंक बैलेंस बढ़ जाता’, KKR के पूर्व खिलाड़ी का चौंकाने वाला खुलासा

Tu baahar mil' - Manoj Tiwary recalls verbal spat with 'immature' Gautam  Gambhir

नई दिल्‍ली । बंगाल के दिग्गज क्रिकेटर मनोज तिवारी ने पेशेवर क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। उन्होंने हाल ही में अपना आखिरी रणजी मैच खेला है। उनके आखिरी मुकाबले के बाद बंगाल क्रिकेट संघ ने उन्हें सम्मानित भी किया।
संन्यास के बाद मनोज तिवारी सुर्खियों में हैं। उन्होंने कई इंटरव्यू दिए हैं और इस दौरान कई खुलासे भी किए हैं। कोलकाता नाइटराइडर्स के इस पूर्व क्रिकेटर ने गौतम गंभीर को लेकर बड़ी बात कही है।

मनोज तिवारी 2010 से 2013 के बीच कोलकाता नाइटराइडर्स के अभिन्न सदस्य थे। 2012 में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ फाइनल में उन्होंने ड्वेन ब्रावो की गेंद पर विजयी चौका लगाया था। कोलकाता ने तब अपना पहला आईपीएल खिताब जीता था। मनोज तिवारी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि कैसे तत्कालीन कप्तान गौतम गंभीर के साथ ड्रेसिंग रूम में एक बड़ी लड़ाई के बाद फ्रेंचाइजी में उनका सफर छोटा कर दिया गया था।

2013 में गौतम गंभीर से हुआ था झगड़ा

एक इंटरव्यू में 38 वर्षीय मनोज तिवारी ने खुलासा किया कि 2013 में ड्रेसिंग रूम में उनका गंभीर के साथ बड़ा झगड़ा हुआ था। यह खबर कभी सामने नहीं आई। उन्होंने आगे स्वीकार किया कि अगर वह घटना नहीं हुई होती तो वह केकेआर के लिए कुछ और सीजन खेले पाते। टीम के साथ शायद लंबे कार्यकाल के लिए आर्थिक लाभ भी होता। हालांकि, उन्हें इसका अफसोस नहीं है।

तिवारी ने कहा, ”2012 में केकेआर चैंपियन बनी थी। उस वक्त मैं विजयी चौका लगाने में कामयाब रहा था। मुझे केकेआर के लिए एक और साल खेलने का मौका मिला। अगर 2013 में मैं गंभीर से नहीं लड़ा होता तो शायद मैं दो-तीन साल और खेलता। इसका मतलब है कि अनुबंध के अनुसार मुझे जो राशि मिलनी थी वह बढ़ गई होगी। बैंक बैलेंस मजबूत होता, लेकिन मैंने इसके बारे में कभी नहीं सोचा।

दिल्ली डेयरडेविल्स से भी हुए थे नाराज

मनोज तिवारी 2008 और 2009 में दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) फ्रेंचाइजी का हिस्सा थे। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि जिस तरह से फ्रेंचाइजी (दिल्ली डेयरडेविल्स) ने प्लेइंग इलेवन चुनने के मामले में काम किया, उससे वह निराश थे। उनका मानना था कि बेहतर खिलाड़ियों को लगातार नजरअंदाज किया गया जबकि कुछ खिलाड़ी घायल हो गए। अवसरों की कमी से निराश होकर तिवारी ने प्रबंधन से उन्हें रिलीज करने के लिए कहा। इसका उल्टा असर हुआ और उन्हें अपना अनुबंध खोना पड़ा।

पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने कहा, ”जब मैं दिल्ली के लिए खेलता था तब गैरी कर्स्टन कोच थे। एक के बाद एक मैच में मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा था कि प्लेइंग-11 अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था। कॉम्बिनेशन सही नहीं था। योग्य क्रिकेटरों को खेलने का मौका नहीं मिल रहा था। कई लोग चोट लगने के कारण बाहर हो गए। टीम के नतीजे अच्छे नहीं रहे। मैं सीधे गया और कहा कि अगर आप मुझे प्लेइंग-11 में नहीं रख सकते तो मुझे छोड़ दो। तब मेरा अनुबंध 2.8 करोड़ रुपये का था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि अगर मैंने ऐसा कहा तो वे मुझे गलत समझेंगे और मुझे छोड़ देंगे। मेरे नुकसान के बारे में कभी नहीं सोचा।