यूसीसी कानून को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कह दी बड़ी बात, जता दी ये आशंका

Should Be Enacted By Centre, Not State': Harish Rawat Blasts Uttarakhand Govt  For 'Wasting Public Money' On Uniform Civil Code

नई दिल्‍ली । उत्तराखंड में धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक पेश कर दिया है। यूसीसी विधेयक को लेकर सत्र में विपक्ष अपनी राय रख रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जल्दबाजी में विधेयक लेकर आई है। इसे पढ़ने के लिए समय मिलना चाहिए। ऐसे में इस पर अब जमकर सियासत भी होने लगी है।

कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि उन्हें आशंका है कि इस नए कानून के जरिए एक खास कम्यूनिटी को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लगता है सरकार अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए कानून ला रही है। उन्होंने यूसीसी कानून को राजनीतिक रोटी सेको कानून बताया है।

एक बहुत बड़ा दस्तावेज

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि उत्तराखंड कॉमन सिविल कोड, एक बहुत बड़ा दस्तावेज जो हमारे जीवन से संबंधित कई कानूनों व कई व्यवस्थाओं को लम्बे समय तक प्रभावित करेगा, अभी तक इसका ड्राफ्ट सार्वजनिक नहीं हुआ है। विपक्ष से उम्मीद की जा रही है कि उनको वह उसके पारण में विधानसभा में सहयोग करें अर्थात एक ऐसे ड्राफ्ट को पारित कर दें जिसको उन्होंने ठीक से पढ़ा भी नहीं और उसके विभिन्न प्राविधानों का क्या असर राज्य में रहने वाले लोगों के जीवन में पड़ेग।

इन वर्गों के जीवन में क्‍या असर पड़ेगा

कहा है कि विभिन्न वर्गों के जीवन में क्या असर पड़ेगा, उसका अध्ययन किए बिना, उसको समझे बिना, उस पर चिंतन किए बिना उसे पारित करें। हरदा ने कहा है कि सरकार बहुत जल्दी में है, उन्हें इस ड्राफ्ट में वोट नजर आ रहे हैं उन्हें राज्य के हित से वास्ता नहीं है, उनकी चिंता केवल चुनाव और वोट हैं। यह ड्राफ्ट आज के कई वर्तमान कानूनों को प्रभावित करेगा, कुछ नई व्यवस्थाएं खड़ी करेगा। क्या इस पहलू पर गहराई से व्यापक मंथन नहीं होना चाहिए? समाज पर उसका क्या असर पड़ेगा उसको समझे बिना राज्य के विपक्ष से उम्मीद की जा रही है कि वह भी उसको पारित करने में साथ दें।

पर्याप्‍त अध्‍ययन,मूल्‍यांकन के बीना विराध या समर्थन कैसे करें

हरीश रावत का कहना है कि यदि विपक्ष ऐसा नहीं करेगा तो सरकार और भाजपा का पूरा प्रचार तंत्र उसको महिला विरोधी, हिंदू विरोधी, पता नहीं क्या-क्या विरोधी बताने में जुट जाएगा। जरा आप सोचिये कि एक ऐसी व्यवस्था इस ड्राफ्ट के पारण के बाद राज्य में लागू होगी जो लंबे समय तक हमारे आपके, सबके जीवन को प्रभावित करेगी, उसे बिना पर्याप्त अध्ययन किये और उसके प्रभावों का मूल्यांकन किए बिना, उसका विरोध या समर्थन कैसे किया जा सकता है, क्योंकि वैसे भी यह कॉमन सिविल कोड नहीं रह गया है।


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