इन 7 राज्यों ने बढ़ाई कांग्रेस की सिरदर्दी, सीट बंटवारे को लेकर जमीन पर बिखरा I.N.D.I. गठबंधन

नई दिल्ली। I.N.D.I.A. Alliance। लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी न्याय यात्रा पर हैं। वहीं, सीट बंटवारे को लेकर आईएनडीआईए गठबंधन बिखरता नजर आ रहा है। क्षेत्रीय दल कांग्रेस को खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं।

दूसरी ओर नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने विपक्षी गठबंधन को लगभग अलविदा कह दिया है। कागजों पर भले ही विपक्षी नेताओं का यह ग्रुप काफी विशाल और पैन-इंडिया दिख रहा हो, लेकिन जमीन पर आईएनडीआईए पूरी तरह बिखर चुका है। आइए जरा जान लें कि विपक्षी गठबंधन में मौजूद घटक दलों की क्या सोच है।

उत्तर-प्रदेश

अखिलेश यादव ने खींच दी सीमा रेखाउत्तर प्रदेश में भी विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कांग्रेस के साथ 11 सीटों पर गठबंधन की सोशल मीडिया पर एकतरफा घोषणा कर दी। इसे लेकर कांग्रेस की प्रदेश इकाई में अंदरखाने नाराजगी है, यह इतनी सीटों से संतुष्ट नहीं है।

बसपा मुखिया मायावती पहले ही एनडीए व आईएनडीआईए दोनों गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में एनडीए के खिलाफ विपक्ष के साझा उम्मीदवार उतारने की रणनीति को झटका लगा है।

झारखंड

सीटों पर खींचतान

झारखंड में आइएनडीआईए गठबंधन के प्रमुख घटक दलों झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस में सीटी को लेकर खींचतान चल रही है। राज्य की कुल 14 लोकसभा सीटों में कांग्रेस ने 10 पर दावेदारी की है, वहीं झामुमो ने कहा है कि वह सात से कम सीटों पर समझौता करने की तैयार नहीं है। राजद और वाम दल ने भी दो-दो सीटी पर दावा ठोका है। फिलहाल सीटों को लेकिन इन दलों में सहारा बनती नहीं दिख रही है।

हालांकि, अभी इन दलों में बातचीत चल रही है और इस मुद्दे पर अंतिम रूप से कोई निर्णय नहीं हुआ है। पिछले लोकसभा कुसा में कांग्रेस के हिस्सों में नौ और झामुमो के हिस्सों में पांच सीटें आई थी। राजद और झामुमो ने अपने कोटे से एक-एक सीट दी थी।

बंगाल

एकला चलो राग

आइएनडीआईए गठबंधन के अस्तित्व पर प्रशन बन हुआ है। बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रिमो ममता बनर्जी ने बुधवार को ही घोषणा कर दी है कि वे अकेले ही चुनाव लड़ेगी। कसग्रेस की ओर से उन्हें मनाने की कोशिश हो रही है लेकिन ममता मानने को तैयार नहीं है।

खबर आई कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खररी ने ममता से बात की है, लेकिन ममता ने कोई भी बात होने से इनकार कर दिया है । कांग्रेस को दो सीटें ममता दे रही है, लेकिन कांग्रेस कम से कम सात से दस सीटें की मांग कर रही है।

पंजाब

सिरे नहीं चढ़ पा रहा आप और कांग्रेस का गठबंधन

आइएनडीआइए के घटक दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कामठबंधन पंजाब में सिरे नहीं बढ़ पा रहा है। इसका मुख्य कारण पंजाब काग्रेस का विरोध है। पंजाब कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि अगर सतारुढ़ आप के साथ गठबंधन होता है तो उनका जमीनी आधार खत्म हो जाएगा। कारण, पास की विपक्ष का दर्जा प्राप्त है तो आम आदमी पार्टी की सरकार है। कांग्रेस के दो दर्जन से अधिक नेताओं पर भ्रष्टाचार के केस दर्ज हो चुके हैं और लगभग एक दर्जन के करीब नेता जेल जा चुके हैं।

प्रदेश कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग पर भी भ्रष्टाचार मामले की तलवार लटकी हुई है। जमीनी स्तर पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में आप सरकार के प्रति नाराजगी है, जिसके कारण वे गठबंधन का विरोध कर रहे हैं।

पहले मुख्यमंत्री भगवत मान तो गठबंधन के हक में दिखाई दे रहे थे, लेकिन अब उन्होंने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने की घोषणा कर दी है। आज की तारीख में पंजाब में तस्वीर साफ है कि कांग्रेस और आप दोनों पार्टियां अलग-अलग ही चुनाव लड़ने जा रही है।

बिहार

नीतीश कुमार एनडीए में
आईएनडीआईए के सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को गठबंधन से अलग हो गए। विपक्ष की एकता के लिए यब बड़ा झटका है। हालांकि, जमीनी स्तर पर देखे तो बिहार में महागठबंधन एकजुट है। सिर्फ नीतीश कुमार का महागठबंधन से जुड़ने और अलग होने की राजनीतिक घटना हुई है।

इसके पूर्व महागठबंधन के साथ जुड़कर नीतीश के लोकसभा चुनाव लड़ने का शक्ति परीक्षण नहीं हुआ है। फिलहाल बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर पुन: मंथन होगा।

इसके पूर्व जब जदयू महागठबंधन के साथ वा को उसने शेष दलों के लिए 23 सीटों का विकल्प दिया था। जदयू 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता था। राजद पर 23 सीटों के बंटवारे की जिम्मेदारी थी। अब जदयू के महागठबंधन से अलग हो जाने के बाद विशेषकर सीटों के बंटवारे में बहुत अड़चने नही है। हर इतना जरूर हुआ है कि महागठबंधन से जदयू के अलग हो जाने से आम लोगों के बीच आइएनडीआईए की एकजुटता को लेकर संशय गहरा गया है। इसका असर चुनाव पर भी पड़ेगा।

हरियाणा

स्वार्थ की भेंट चढ़ी कथित एकजुटता

भाजपा के विरुद्ध देश में जब आईएनडीआईए का गठन नहीं हुआ था, तब हरियाणा में भाजपा विरोधी दलों ने राज्य स्तर पर कांग्रेस सहित तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की थी। यह वो लोग और दल थे, जिन्हें प्रदेश की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया था, मगर हर कोई मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने की सोच रखता था, जिस कारण प्रदेश में आज तक दूसरे या तीसरे मोर्चे का गठन नहीं हो पाया।

यही स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर है। प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में जबरदस्त अंतर्विरोध की स्थिति है।। कांग्रेस किसी भी सूरत में आम आदमी पार्टी को एक भी लोकसभा सीट देने के लिए तैयार नहीं है।

मध्य प्रदेश

भाजपा-कांग्रेस के बीच ही होगा मुकाबला

मध्य प्रदेश में लोकसभा की सभी 29 केटी में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा। आईएनडीआईए में शामिल दलों की प्रदेश में स्थित पिछले चुनावों में बेहद कमजोर रही है। वर्ष 2019 के चुनाव में प्राप्त मत प्रतिशत के हिसाब से प्रदेश में कांग्रेस को छोड़ गठबंधन में सबसे बड़ा दल समाजवादी पार्टी थी, जिसे 0.22 प्रतिशत मत (82,662) मिले थे।

विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान सीट बंटवारे को लेकर कमल नाथ और सपा कांग्रेस से दो से तीन सीट छोड़ने की मांग कर सकती है पर पिछले चुनाव में मत प्रतिशत को देखते हुए समझौते के आसार कम ही है।