आज सोमवार शाम विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट के साथ होगा 75वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

नई दिल्ली। रायसीना हिल्स पर स्थित विजय चौक पर सोमवार शाम ‘बीटिंग रिट्रीट’ के साथ 75वें गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक समापन होगा। सूरज डूबने से पूर्व भारतीय थल सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के संगीत बैंड देश के प्रतिष्ठित दर्शकों के समक्ष 31 मनमोहक और थिरकने वाली भारतीय धुनें बजाएंगे। इस अवसर पर राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, अन्य केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और आम जनता उपस्थिति होगी।

पीआईबी के अनुसार, ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड के ‘शंखनाद’ धुन के साथ होगी। इसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड के माध्यम से ‘वीर भारत’, ‘संगम दूर’, ‘देशों का सरताज भारत’, ‘भगीरथी’ और ‘अर्जुन’ जैसी मनमोहक धुनें पेश की जाएंगी। सीएपीएफ बैंड ‘भारत के जवान’ और ‘विजय भारत’ का संगीत बजाएंगे। इस दौरान भारतीय वायुसेना के बैंड ‘टाइगर हिल’, ‘रेजॉइस इन रायसीना’ और ‘स्वदेशी’ धुनों की प्रस्तुति देंगे। इसके बाद दर्शक भारतीय नौसेना बैंड को ‘आईएनएस विक्रांत’, ‘मिशन चंद्रयान’, ‘जय भारती’ और ‘हम तैयार हैं’ सहित कई अन्य धुनें बजाते हुए देख कर आनंदित होंगे। इस क्रम में भारतीय सेना का बैंड आएगा, जो ‘फौलाद का जिगर’, ‘अग्निवीर’, ‘करगिल 1999’ और ‘ताकत वतन’ समेत अन्य संगीतमय प्रस्तुति देगा।

पीआईबी ने कहा है कि आखिर में सामूहिक बैंड ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘ड्रमर्स कॉल’ की धुनें बजाएंगे। बीटिंग रिट्रीट का समापन लोकप्रिय धुन ‘सारे जहां से अच्छा…’ के साथ होगा। लेफ्टिनेंट कर्नल विमल जोशी समारोह का संचालन करेंगे। आर्मी बैंड के कंडक्टर सूबेदार मेजर मोती लाल होंगे। एमसीपीओ एमयूएस (II) एम एंटनी और वारंट ऑफिसर अशोक कुमार क्रमशः भारतीय नौसेना तथा भारतीय वायुसेना के संचालक होंगे। कांस्टेबल जीडी रानीदेवी सीएपीएफ बैंड की संचालक होंगी।

बिगुल बजाने वाले सैन्य कलाकार नायब सूबेदार उमेश कुमार के नेतृत्व में प्रदर्शन करेंगे। सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह के निर्देश के अनुसार पाइप्स तथा ड्रम बैंड पर प्रस्तुति दी जाएगी। ‘बीटिंग रिट्रीट’ की शुरुआत 1950 के दशक प्रारंभ में हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से तैयार कर प्रस्तुत किया था। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है। जब सैनिक लड़ाई बंद कर अपने हथियार बंद कर रख देते थे और युद्ध के मैदान से हटते ही रिट्रीट की ध्वनि के साथ सूर्यास्त के समय अपने शिविरों में लौट आते थे। कॉलर्स और स्टैंडर्ड्स खोल दिए जाते हैं और झंडे उतार दिए जाते हैं। यह समारोह पुरानी स्मृतियों की याद दिलाता है।