नई दिल्ली । हरियाणा की मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘परिवार पहचान पत्र’ की झलकियां दिल्ली वाले भी देख पाएंगे। दरअसल, इस बार 26 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर गणतंत्र दिवस की दिल्ली में आयोजित परेड में परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) की झांकी भी शामिल होगी। इस योजना को लागू करने में मनोहर लाल सरकार को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा था। राज्य के लोगों ने शुरुआत में योजना का खुलकर विरोध भी किया था। लेकिन, मनोहर लाल सरकार उन सभी विरोध का सामना करते हुए अपने पथ से डगमगाई नहीं और योजना को लागू किया। आइए जानते हैं क्या है पीपीपी योजना?
पेपरलेस और फेसलेस सेवाओं के वितरण को बढावा मिलेंगा
दरअसल, परिवार पहचान पत्र (पीपीपी), नागरिकों को पेपरलेस और फेसलेस सेवाओं के वितरण को बढावा देने के लिए एक ई-गवर्नेंस योजना है। इसका मकसद राज्य में सभी परिवारों का प्रामाणिक, सत्यापित और विश्वसनीय डेटा तैयार करना है। पीपीपी राज्य में प्रत्येक परिवार की पहचान करता है और परिवार की बुनियादी डेटा को डिजिटल प्रारूप में परिवार की सहमति से प्रदान करता है।
73.11 लाख परिवारों का डेटा अपडेट
इस योजना के तहत मार्च 2023, तक करीब 2.88 करोड व्यक्तियों के साथ 73.11 लाख परिवारों का डेटा अपडेट किया जा चुका है। इस योजना की मदद से सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं और गड़बड़ियों को पकड़ने में काफी सहायता मिली है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस योजना की तारीफ कर चुके हैं।