…तो 166 साल पहले हिंदुओं की होती राम जन्मभूमि, पढ़ें क्या हुआ था

मूर्तियां, स्तंभ, शिलाएं... अयोध्या में राम जन्मभूमि पर 50 फीट की खुदाई में  मिले प्राचीन मंदिर के अवशेष - Ayodhya Remains of ancient temple found  during excavation in Ram ...

नई दिल्‍ली । श्रीराम जन्मभूमि (Shri Ram Janmabhoomi)पर भव्य मंदिर (grand temple)बनाने का सपना 500 साल के इंतजार (Wait)के बाद पूरा हो रहा है। मगर एक छोटी सी चूक (small mistake)न हुई होती तो आज से 166 साल पहले यानी 1857 में ही अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया होता। आखिरी मुगल शासक बहादुरशाह जफर ने हिंदू-मुसलमान के बीच की खाई पाटने के लिए बाकायदा आदेश जारी किया था कि भारत को अंग्रेजों से आजाद कराते ही जन्मभूमि हिंदू भाइयों को सुपुर्द कर देंगे। 1857 में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के असफल होने से वह सपना अधूरा रह गया।

अयोध्या में सन-1528 में मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद के निर्माण के बाद कई संघर्ष हुए। 18वीं सदी में ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी नीतियों के खिलाफ भारतीय मानस उबलने लगा था जिससे 1857 के क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार हुई। 10 मई 1857 को मेरठ की बैरकपुर छावनी से विद्रोह का बिगुल बज गया।

बीएचयू में प्राचीन इतिहास विभाग के डॉ. विनोद कुमार जायसवाल बताते हैं कि सैकड़ों हिंदू सैनिकों व राजाओं के साथ अयोध्या के राजा देवीबख्श सिंह के साथ गोंडा नरेश और महंत रामचरण दास भी क्रांति का हिस्सा बने। मुस्लिम नेता अमीर अली ने उसी दौरान बहादुरशाह जफर को हिंदू-मुस्लिम के बीच की खाई पाटने के लिए सभी को ‘बिरादराने वतन’ कहकर संबोधित करने का सुझाव दिया था। बहादुरशाह जफर ने इस सुझाव को माना और 1857 में ही आदेश दिया कि जंग में फतह हासिल करने के बाद राम जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप दी जाएगी। हालांकि क्रांतिकारियों के असंगठित होने का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने गदर को दबा दिया और अंतिम मुगल सम्राट का वादा अधूरा रह गया।

सुल्तानपुर गजेटियर में जिक्र

उस दौर में अवध प्रांत के कलेक्टर रहे कर्नल मार्टिन ने इसका जिक्र सुल्तानपुर गजेटियर में किया है। गजेटियर की पृष्ठ संख्या-36 पर उसने लिखा कि ‘अयोध्या की बाबरी मस्जिद हिंदुओं को मुसलमानों द्वारा वापस देने की खबर से अंग्रेजों में घबराहट फैल गई और यह लगने लगा कि हिंदुस्तान से अंग्रेज खत्म हो जाएंगे’। स्पष्ट है कि अंग्रेज भी बहादुर शाह के उस ऐतिहासिक निर्णय से चकित रह गए थे।

हिमायतियों को दी एक साथ फांसी

1857 की क्रांति दबाने के बाद अंग्रेजों ने सबसे पहले राम जन्मभूमि के हिमायती नेताओं को फांसी पर लटकाया। डॉ. विनोद जायसवाल बताते हैं कि 18 मार्च 1858 को अयोध्या के कुबेर टीला नामक स्थान पर एक ही इमली के पेड़ पर मुस्लिम नेता अमीर अली और बाबा रामचरण दास को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया। यह फांसी हजारों लोगों के सामने दी गई थी। इस संदर्भ में कर्नल मार्टिन लिखता है कि ‘इसके बाद फैजाबाद के बलवाइयों की कमर टूट गई और तमाम फैजाबाद जिले में हमारा रौब गालिब हो गया’।