राज्‍य सरकारें सीएए कानून को टाल सकती है, क्या कहता है देश का संविधान?

 

What is CAA, the law which led to massive protests in 2019? | Mint

नई दिल्‍ली । देश के कई राज्यों के सीएम ने नोटिफिकेशन के बाद सीएए को लागू नहीं करने को लेकर बयान दिया है। हालांकि इसको सिर्फ वोट बैंक की राजनीति से ही जोड़कर देखा जा सकता है, क्योंकि देश में नागरिकता देने का अधिकार सिर्फ कानून संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत संघ सूची का हिस्सा है और इसको सिर्फ केंद्र सराकर ही बना सकती है। ऐसे में देश में किसी को भी नागरिकता देने का कोई भी अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है।

राज्‍य सरकारें बड़े समय के लिए टाल सकती है

दरअसल, देश के संविधान में नागरिकों के लिए कानून बनाने को लेकर तीन भागों में बांटा गया है, जिसको संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची कहा जाता है। संसद में बने कानून के क्रियान्वन को लेकर राज्य सरकार थोड़े समय के लिए टाल सकती है, लेकिन उनके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह इसको लागू ना करें। इसके साथ ही समवर्ती सूची में कोई भी कानून बनाने का अधिकार राज्य और केंद्र सरकार दोनों को होता है, हालांकि इसमें भी अंत में राज्यों को केंद्र सरकार के फैसले को ही मानना पड़ता है।

नागरिकता को लेकर क्या कहता है देश का संविधान?

जब देश आजाद हुआ तो संविधान में भाग-2 के आर्टिकल 5 से 11 में भारत में नागरिकता के बारे में जिक्र है।

1: संविधान के आर्टिकल 5 में कहा गया कि 26 नवंबर 1949 से पहले भारत में रहने वाले और अगर वह यहां पर ही रहना चाहते हैं तो उनको नागरिक माना जाएगा।

2: इसके बाद आजादी के समय में भारत का बंटवारा हुआ था तो आर्टिकल 6 में कहा गया था कि 19 जुलाई 1948 को व्यक्ति पाकिस्तान से भारत आ जाएंगे और उनकी मंशा यहां पर रहने की होगी तो उनको देश का नागरिक मान लिया जाएगा।

3: कई लोग ऐसे थे जोकि बंटवारे के बाद भारत से पाकिस्तान चले गए, लेकिन वहां पर उनको वह सम्मान नहीं मिला तो वह फिर से वापस आ गए। इन लोगों को आर्टिकल 7 के तहत 19 जुलाई 1948 का समय देते हुए भारत का नागरिक माना गया।

4: जब देश आजाद हुआ तो कुछ ऐसे लोग भी थे जोकि भारतीय मूल के थे लेकिन यहां पर रहते नहीं थे। आर्टिकल 8 के तहत ऐसे व्यक्तियों को छूट दी गई। इसमें कहा गया कि अगर वह दुनिया के किसी भी देश में रहते हैं और वहां पर भारतीय दूतावास में जाकर अगर अप्लाई करेगा तो उसको भारत का नागरिक मान लिया जाएगा। हालांकि उस समय संविधान में इसके लिए एक साल तक का समय तय किया गया था।

5: दुनिया के कई देश दोहरी नागरिकता को मान्यता देते हैं, लेकिन आर्टिकल 9 के तहत भारत इसकी इजाजत नहीं देता। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी अन्य देश का नागरिक हो जाता है और जिस क्षण वह उसका नागरिका होता तो उसकी क्षण वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा।

6: आर्टिकल 10 एक तरह की गारंटी है, संविधान में यह लिखा गया कि जिन लोगों को नागरिकता दी जा रही है, उनको यह गारंटी दी जाती है कि वह कानूनों के तहत भारत के नागरिक बने रहेंगे।

7: आर्टिकल 11 में संसद को मजबूती प्रदान की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत की संसद को पूरी शक्ति होगी कि वह नागरिकता के अर्जन, नागरिकता के परित्याग आदि से संबंधित सभी विधियां बना सके। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि संसद ही इस मामले में कोई कानून बना सकती है।