भगवान शिव (Lord shiva) को ब्रह्मांड में अजर और अमर कहा गया है. भगवान शिव के साथ-साथ शिवलिंग की भी सदियों से पूजा होती आ रही है. शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव (Lord Shiva) का आशीर्वाद पाने के लिए जलाभिषेक करना चाहिए.
शिवलिंग की पूजा से महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न होकर जातक को मनचाहा फल देते हैं.ऐसे में अगर आप भी शिवलिंग की नियमित पूजा करते हैं तो आपको शिवलिंग (Shivling) की पूजा के सही विधि-विधान पता होने चाहिए. आपको बता दें कि शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है. चलिए जानते हैं कि शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं का क्या महत्व है.
शिवलिंग की पूजा करते समय कैसे रखें दिशाओं का ध्यान – ज्योतिष में कहा गया है कि शिवलिंग की पूजा करते समय गलत दिशा में खड़े होना या गलत दिशा में शिवलिंग पर जल गिरना अशुभ माना जाता है. इसिलए शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा के लिए कुछ खास दिशाओं की बात कही गई है. जब जातक को शिवलिंग पर जल अर्पित करना हो तो उसे दक्षिण दिशा में खड़े होकर ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए.
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय जातक का मुख पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए. उसका मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए. शिवलिंग पर जल इस तरह अर्पित करें कि जल उत्तर दिशा की ओर शिवलिंग पर गिरे. शास्त्रों में कहा गया है कि कभी जातक को खड़े होकर शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं करना चाहिए. अगर आप खड़े हैं तो झुककर या बैठकर ही जलाभिषेक करना चाहिए.
किस पात्र से अर्पित करें शिवलिंग को जल – ज्योतिष में कहा गया है कि शिवलिंग को जल अर्पित करने के लिए कभी भी लोहे, प्लास्टिक या स्टील के पात्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ होता है. शिवलिंग को जलाभिषेक करने के लिए सदैव तांबे, पीतल या चांदी के पात्र का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे भगवान महादेव प्रसन्न होते हैं औऱ जातक को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.