बिहार में बढ़ी सियासी हलचल, कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं सीएम नीतीश

पटना। बिहार में बढ़ी सियासी हलचल के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

इस बीच भाजपा की ओर से खबर है कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी को आलाकमान ने मंजूरी दे दी है। इसी कड़ी में बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को दिल्ली तलब किया गया है। सम्राट चौधरी के साथ अश्विनी चौबे भी दिल्ली गए हैं। जबकि मुंबई से बिहार के भाजपा प्रभारी विनोद तावडे को भी दिल्ली तलब किया गया है। सभी आनन फानन में दिल्ली पहुंच गए हैं।

इस बीच बताया जा रहा है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर बातचीत की है। सूत्रों के अनुसार, राजद की ओर से महागठबंधन सरकार को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा। गठबंधन बचाने के लिए राजद सरकार से बाहर रहकर भी समर्थन देने को तैयार है। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अब राजद के साथ सरकार ज्यादा दिन रखने के पक्ष में नहीं है।

जदयू और नीतीश कुमार को इस बात का डर सता रहा है कि राजद उसके 12 विधायकों को तोड़कर सरकार बना सकता है। इससे पहले भी पटना में 12 विधायकों की बैठक की खबर सामने आ चुकी है। अगर राजद की यह कोशिश सफल हो जाती है तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि इस समय विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चैधरी हैं, जो राजद के विधायक हैं।

ऐसे में जदयू के विधायकों में तोड़फोड़ मचाना राजद के लिए आसान हो सकता है। इस बीच अटकल यह भी लगाई जा रही है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं। दूसरी अटकल यह भी लगाई जा रही है कि नीतीश कुमार को केन्द्र सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है और बिहार में मुख्यमंत्री पद भाजपा के हिस्से में आएगा।

भाजपा की ओर से दो उपमुख्यमंत्री पद ऑफर करने की भी खबरें आ रही हैं। लेकिन नीतीश कुमार भी मुख्यमंत्री का पद अपने पास ही रखना चाहते हैं। वहीं, भाजपा के साथ दिक्कत यह है कि वह कई बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना चुकी है। लेकिन पिछले 2 बार से नीतीश कुमार उसे गच्चा देकर राजद के साथ जाकर सरकार बना लेते हैं।

अगर भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को दे देती है तो क्या गारंटी है कि विधानसभा चुनाव से पहले वह राजद के नहीं चले जाएंगे? इसी डर से भाजपा इस बार मुख्यमंत्री पद पर किसी भी कीमत पर समझौते के मूड में नहीं है। उधर, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी कमान संभाल ली है।

राजद के पास समर्थक दलों के विधायकों के साथ 114 विधायक हैं और सरकार बनाने में 8 विधायकों की कमी है। अब लालू यादव इन्हीं 8 विधायकों के जुगाड़ में लग गए हैं। दरअसल, 243 विधायकों वाली बिहार विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है। राजद के पास 79, कांग्रेस के पास 19 और वाम दलों के पास 16 विधायक हैं।

कुल मिलाकर राजद के पास 114 विधायकों का इंतजाम है और अगर लालू यादव 8 विधायकों का इंतजाम कर लेते हैं तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता। सूत्र बताते हैं कि लालू प्रसाद यादव इन विधायकों के इंतजाम में जुट भी गए हैं।

हम के 4, ओवैसी की पार्टी के एक और एक निर्दलीय को लालू यादव अपने तरफ में कर लेते हैं तो भी सरकार बनाने के लिए उन्हें 2 और विधायकों का समर्थन चाहिए। इसी को लेकर राबड़ी आवास में भी बैठकों का दौर चल रहा है। वहीं भाजपा के 75 विधायक हैं, जबकि जदयू के पास 45 हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के यहां भी जदयू नेताओं की बैठकें चल रही हैं।