संदेशखाली हिंसा के आरोपियों को क्‍यों बचाना चाह रही ममता बनर्जी, अब इन आरोपियों पर उठ रहे सवाल

Post-poll violence in Bengal: Mamata accuses central ministers for inciting  violence, Nadda lays blame on TMC | Kolkata News - The Indian Express

कोलकाता । पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली में हिंदू महिलाओं पर हुए अत्याचार पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुप्पी साध रखी है। इसके उलट राज्य की मुखिया दोषियों को बचाती हुई नजर आ रही हैं।

जबकि, संदेशखाली में हिंदू महिलाएं टीएमसी सदस्यों द्वारा रेप और धमकियों की भयावह कहानियां सुना रही हैं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरी चुप्पी बनाए रखने के बाद अपनी पार्टी के नेता और कथित आरोपी शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों का बचाव किया।

जबकि, संदेशखाली में कई हिंदू महिलाओं पर शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों द्वारा अकथनीय अत्याचार किए गए हैं, ममता बनर्जी ने अपने सहयोगी को बचाव करते हुए उन्होंने भाजपा और आरएसएस को दोषी ठहराया। बनर्जी ने दावा किया कि संदेशखाली आरएसएस का बंकर बन गया है।

बंगाल पुलिस के पास रेप से जुड़े कोई रिकॉर्ड नहीं

ममत बनर्जी खुद 1 महिला हैं, लेकिन वो एक लॉबिंग के लिए जानी जाती हैं, जिसमें वो अक्सर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्ष, उदारवाद के लिए अधिकतर जानी जाती है। इस केस में मुख्य रूप से सवाल उठ रहे कथित आरोपी शाहजहां शेख को क्लीन चिट दे दिया, उनपर इस केस में जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। लेकिन, इस केस को लेकर बंगाल पुलिस के पास रेप से जुड़े कोई रिकॉर्ड नहीं है। दूसरी ओर सीएम ममता बनर्जी ने बताया कि संधेशखाली की महिलाओं के साथ अन्याय नहीं हुआ है और यह टीएमसी नेता शाहजहां शेख को निशाना बनाने की भाजपा की चाल थी।

टीएमसी सुप्रीमो का पार्टी नेता शाहजहां शेख का बचाव करने से कई लोगों को झटका लगा। हालांकि, ममता बनर्जी का हिंदू विरोधी नेताओं का इस हद तक समर्थन करने का इतिहास रहा है कि एक पाकिस्तानी प्रवासी और कट्टर हिंदू नफरत करने वाले को राज्यसभा में पहुंचा दिया।

पत्रिका को शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन को बेच दिया

राज्यसभा सदस्य अहमद हसन इमरान का जन्म कथित तौर पर पूर्वी पाकिस्तान के सिलहट के श्रीहट्टा के एक गांव में हुआ था और बांग्लादेश के निर्माण से पहले 1970-71 में पूर्वी पाकिस्तान से भारत में आए थे इमरान ने पश्चिम बंगाल में ‘कलाम’ नामक एक बंगाली पत्रिका के कार्यकारी संपादक के रूप में काम किया। हालांकि, बाद में उन्होंने पत्रिका को शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन को बेच दिया।

सांसद अहमद हसन इमरान के खिलाफ आरोप..

जांच के दौरान टेलिजेंस एजेंसी ने इस बात का भी खुलासा किया था कि अहमद हसन इमरान के तार पाकिस्तान की आईएसआई से जुड़े हुए हैं। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अब प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के संस्थापक सदस्य भी हैं। उन्होंने जमात-ए-इस्लामी (पहले जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, जेएमबी के नाम से जाना जाता था), जमात-उल-मुजाहिदीन और अन्य इस्लामी आतंकवादी संगठनों के लिए भी काम किया।