बीजिंग । कोविड महामारी के बाद लगाए प्रतिबंधों के कारण चीन की हालत काफी पतली हो चुकी है। चौतरफा संकट से घिरे चीन को एक के बाद एक चुनौतियों से घिरता जा रहा है। देश में रोजगार की कमी कारण युवाओं में रोष बढ़ रहा है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से देश के व्यापारी विदेशों में ओर अपना रुख कर रहे हैं। ताइवान के साथ बढ़ते तनाव ने भी जिनपिंग की सिरदर्द बढ़ा दिया है और बौखलाहट में वह कड़े कानून लागू कर रहे हैं। चीन सरकार को लगता है कि देश के लोग अब देशभक्ति को तरजीह नहीं दे रहे हैं जिस कारण देश में चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। सरकार मानती है कि लोग देश को लेकर देशभक्ति का भाव नहीं रखते हैं, इसलिए जिनपिंग की सरकार ने देशभक्ति शिक्षा कानून को अमल में लाया है. ये कानून अगले हफ्ते से चीन में लागू किया जाएगा।
देशभक्ति शिक्षा कानून का मकसद राष्ट्रीय एकता को बढ़ाना है।इस कानून के मुताबिक, सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति छोटे बच्चों से लेकर सभी क्षेत्रों के श्रमिकों और पेशेवरों तक अपनी आस्था दिखानी होगी। बच्चों के स्कूलों में भी देशभक्ति कानून को सिलेबस में जोड़ा जाएगा। पिछले महीने एक चीनी प्रोपेगेंडा अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि यह कानून विचारों को एकजुट करने और एक मजबूत देश के निर्माण और राष्ट्रीय कायाकल्प के महान उद्देश्य के लिए लोगों की ताकत इकट्ठा करने में सहायता के लिए बनाया गया है। हालांकि, देशभक्ति और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति निष्ठा के लिए यह प्रयास लोगों को नया लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है।
चीन में यह पूरी तरह से एक नई अवधारणा नहीं है। पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना के बाद से लगभग 75 सालों से, देशभक्ति के प्रचार को शिक्षा, कंपनी कल्चर और दैनिक जीवन में शामिल किया जा रहा है। जैसे-जैसे चीनी छात्र अपने इतिहास के गलियारों से गुजरते हैं, विचारधाराओं की खोज करते हैं और अतीत पर चिंतन करते हैं, वैसे-वैसे उनके मन में देशभक्ति का ये कॉन्सेप्ट और भी गहरा होता जा रहा है। देशभक्ति शिक्षा कानून का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है. इसे पूरे देश में देशभक्ति की मजबूत भावना पैदा करने के लिए बनाया गया है। इसमें विचारधारा, राजनीति, इतिहास, संस्कृति, राष्ट्रीय प्रतीक, मातृभूमि की सुंदरता, राष्ट्रीय एकता, जातीय एकजुटता, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और नायकों और रोल मॉडल के कार्यों सहित कई क्षेत्र शामिल हैं।