कोयला उत्‍पादन के अनुमानित मांग को लेकर प्रल्हाद जोशी ने कहीं ये विशेष बात

नई दिल्ली। कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने का कहना है ‎कि चालू वित्त वर्ष में देश का कोयला उत्पादन एक अरब टन के आंकड़े से अ‎धिक हो जाएगा। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश का जीवाश्म ईंधन का उत्पादन लक्ष्य 101.21 करोड़ टन है।

वाणिज्यिक कोयला खदान की नीलामी के नौवें दौर के शुभारंभ के दौरान मंत्री ने कहा ‎कि इस साल हम एक अरब टन उत्पादन स्तर को पार करने जा रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में कोयले की अनुमानित मांग 119.66 करोड़ टन है। मंत्री ने कहा कि वर्ष 2030 तक बिजली की मांग दोगुनी होने वाली है और इस जरूरत को पूरा करने के लिए देश को कोयले की जरूरत है।

उन्‍होंने बताया कि नौवें दौर की नीलामी पूरी होने के साथ ही 100 कोयला ब्लॉकों की बिक्री पूरी हो जायेगी। वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के नौवें दौर में कुल 31 कोयला खदानों की पेशकश की जा रही है। ये खदानें कोयला, लिग्नाइट वाले राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में हैं।

उल्‍लेखनीय है कि भारत में कोयले के ओद्योगिक खनन की कहानी पश्चिम बंगाल के रानीगंज से शुरू हुई जहां ईस्ट इंडिया कंपनी ने नारायणकुड़ी इलाक़े में 1774 में पहली बार कोयले का खनन किया था। उस दौर में ओद्योगिक क्रांति भारत तक नहीं पहुंची थी और कोयले की मांग बहुत कम थी, ऐसे में अगली एक सदी तक भारत में बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन नहीं हुआ। फिर जब 1853 में ब्रिटन में भाप चलित रेल इंजन के विकास के बाद कोयले का उत्पादन और खपत दोनों में ही बढ़ोतरी आई। बीसवीं सदी की शुरुआत तक भारत में कोयला उत्पादन 61 लाख टन प्रतिवर्ष तक पहुंच गया था। लेकिन आज़ादी के बाद भारत की आकांक्षाएं बढ़ी और कोयला इन बढ़ती आकांक्षाओं की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने का अहम ज़रिया बन गया । आज भारत कोयले के उत्पादन और खपत के मामल में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है ।
भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का 70 फ़ीसदी से अधिक कोयला संचालित संयंत्रों से ही हासिल करता है। साल 1973 में कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के बाद से अधिकतर कोयले का उत्पादन, सरकारी कंपनियां ही करती हैं। भारत में 90 फ़ीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन कोल इंडिया करती है। कुछ खदानें बड़ी कंपनियों को भी दी गई हैं, इन्हें कैप्टिव माइन्स कहा जाता है, इन कैप्टिव खदानों का उत्पान कंपनियां अपने संयंत्रों में ही ख़र्च करती हैं। भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं। दुनिया में कोयले के सबसे बड़े भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में हैं । साथ ही आपको यह भी बतादें कि भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के मुताबिक़ भारत के पास 319 अरब टन का कोयला भंडार हैं। भारत में कोयले के सबसे बड़े भंडार झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगना और महाराष्ट्र में हैं, इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयला मिला है।