दिग्विजय सिंह से कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान;क्या कहते हैं पॉलिटिकल पंडित

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-दिग्विजय सिंह पार्टी में फूंक सकते हैं नई जान

भोपाल।अजयभारत न्यूज

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. कांग्रेस के लिहाज से देखें तो इस वक्त कांग्रेस का संगठन कमजोर हैं. कमजोर नेतृत्व की कमी के चलते कांग्रेस भी लगातार कमजोर होती जा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो दिग्विजय सिंह को कमान मिल जाती है तो वे कांग्रेस के संगठन को फिर से मजबूत कर सकेंगे.

माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह के नाम पर आम सहमति बन सकती है.वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक लज्जा शंकर हरदेनिया का कहना है कि भाजपा के लिए चुनौतीपूर्व साबित होंगे. हरदेनिया कहते हैं कि उनके साथ मैंने काम किया है. उनके बनने से हिंदी भाषी क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी कांग्रेस को मजबूती मिलेगी. गांधी परिवार के भी वे भरोसेमंद रहे हैं, और भारत जोड़ो यात्रा के वे रणनीतिकार रहे हैं. जहां तक दिग्विजय सिंह के बयानों की बात की जाए तो अध्यक्ष बनने के बाद भी पार्टी को फर्क नहीं पड़ेगा. उनके निशाने पर संघ रहा है और जो बयान दिग्विजय सिंह के आते हैं वे तथ्यों पर आधारित होते हैं.दिग्विजय सिंह एक आक्रामक नेता है और उनमें नेत़ृत्व क्षमता है. लज्जाशंकर कहते हैं कि कांग्रेस के लगातार कमजोर होने की वजह है कि वो अपने सिक्यूलर पाथ से भटक गई है. यही वजह है कि अल्पसंख्यकों के साथ साथ दलित भी कांग्रेस से दूर होते चले जा रहे हैं.

दिग्विजय सबसे मजबूत दावेदार हैं

वरिष्ठ पत्रकार सतीश एलिया का कहना है कि इस वक्त जितने भी नेता अध्यक्ष पद की दौड़ में है, उनमें सबसे मजबूत दावेदार दिग्विजय सिंह ही है. कांग्रेस का जनाधार तो हैं, लेकिन संगठन कमजोर होता जा रहा है. उनके आने से संगठन मजबूत होगा इससे पार्टी ताकतवार होगी. जहां तक दिग्विजय की हिंदू विरोधी छवि का सवाल है, तो कांग्रेस को इससे कोई नुकसान नहीं होगा. दिग्विजय सिंह जमीन से जुड़े नेता है और उनके आने से पार्टी को फायदा होगा. उनके बनने से लोकतंत्र मजबूत होगा औऱ विपक्ष की धार भी देखने को मिलेगी.

दिग्विजय से कांग्रेस को क्या होगा फायदा

-दिग्विजय सिंह जमीन से जुड़े नेता है, सामान्य कार्यकर्ता तक उनकी पकड़.

-राजनीतिक अनुभव, उनके बयानों में तर्क और विश्लेषण, बयानों में गंभीरता.

-75 साल की उम्र में भी एक्टिव, सोशल मीडिया में भी एक्टिव, जमीनी कार्यकर्ता से सीधा संबंध.

-नेतृत्व और संगठन क्षमता मजबूत.

-मप्र में कांग्रेस को सत्ता दिलाने में उनकी नर्मदा यात्रा गेम चेंजर साबित हुई.

दिग्विजय सिंह का नकारात्मक पक्षः

-दिग्‍गी राजा गोवा के मैनेजमेंट में पूरी तरह फेल साबित हुए थे. जहां न उनकी नीति और रणनीति दोनों काम न आ सकीं.

-मध्यप्रदेश से कांग्रेस की सत्ता जाने के पीछे दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार माना गया. उनकी वजह से सिंधिया को दरकिनार किया गया.

-दस साल सीएम रहने के बाद हारने पर 10 साल राजनीति से संन्यास लिया.इसके बाद भोपाल लोकसभा से खडे़ हुए तो साध्वी प्रज्ञा सिंह से हार गए. अपने कैरियर में दो बार दिग्विजय को हार का सामना करना पड़ा.

भाजपा को मिलेगा फायदा

उनके अध्यक्ष बनने के बाद उनके भगवा आंतक वाले बयान,ओसामा प्रेम, सहित उनके कई हिंदू विरोधी बयानों को लेकर बीजेपी उनकी छवि को डैमेज करने की कोशिश करेगी. साथ ही बंटाधार का नारा भी बीेजेपी और बुलंद करेगी.

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