
आज की राजनीति में विभिन्न राजनैतिक दल देश हित की चिंता के स्थान पर परस्पर आपस में बैर का भाव रखते हैं जबकि उद्देश्य सभी का देश की समस्याओं में जनकल्याण है । मध्य भारत और अब मध्यप्रदेश में जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी हुई) को मजबूत करने में ग्वालियर राजघराने की राजमाता श्रीमती विजय रजे सिंधिया का विशेष योगदान है । आप जनसंघ में और बाद में भाजपा में तथा अटल बिहारी वाजपेयी लालकृष्ण आडवाणी की सिरोही की राजनीति आ रही हैं । 1947-48 से पूर्व देश की पांच सौ से ज्यादा रियासतों के प्रमुखों ने पहले अंग्रेजों का साथ दिया और बाद में अपना स्वतंत्र अस्तित्व मानना चाहा । जबकि ग्वालियर रियासत की राजमाता ने सदा अंग्रेजों से टक्कर ली और बाद में शिक्षा से भारत में विलय कराया । विभिन्न राजघरानों की तुलना में ग्वालियर रियासत ज्यादा सम्पन्न और सफल थी । उसका अपना सिक्का चलता था । कोई भी ग्वालियर रियासत में रिफाइंड (तब डालडा) लेकर नहीं आ सकता था । रियासत की अपनी न्याय व्यवस्था थी । अपना पुलिस प्रशासन था । आज भी रियासत के जमाने की इमारतें ग्वालियर की शान है । ग्वालियर रियासत मराठा और ब्रज क्षेत्र दोनों की संस्कृति का द्योतक है । ग्वालियर रियासत में मुरैना ब्रज क्षेत्र में आता था । परन्तु ग्वालियर रियासत ने अपना फैलाव कर मुरैना, कैलारस, श्योपुर, शिवपुरी को अपने में मिला लिया ।
श्रीमंत राजमाता राजे सिंधिया की संतानों में माधवराव सिंधिया का विशेष स्थान है । बे कांग्रेस दल से सम्बद्ध थे, परन्तु उनका ध्यान पार्टी से ऊपर उठकर क्षेत्र के विकास की सोचते थे । इस दिशा में भी राजनैतिक रूप से अपने विरोधियों से मिलने और उनकी बात सुनने के पक्षधर थे । कांग्रेस शासनकाल में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कई विभागों के मंत्री रहे हैं । उनके भाषणों में जहां कांग्रेस का पक्ष होता था, वहीं वे देशहित और विशेषकर प्रदेश हित को सर्वोपरि रखते थे । कैलाश वासी श्रीमद् माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर चंबल संभाग में विकास के अनेक सौगातें दीं जिसमें ग्वालियर में ट्रिपल आईटीएम, पर्यटन संस्थान, रेल स्प्रिंग कारखाना सिथौली, सिविल एयरपोर्ट, मुरैना के बानमोर स्थित ग्वालियर दुग्ध संघ, पुंज लाॅयड, जेके टायर आदि श्री सिंधिया की देन है । कांग्रेस के बड़े नेता रहे एवं लोकसभा में हमेशा कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखते थे ।
आज उनके योग्य सुपुत्र श्रीमंत ज्योतिराज सिंधिया वर्तमान में केन्द्रीय सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं उनके पास अल्पसंख्यक विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी है
श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये और उनकी रण कौशल से चौथी बार लगातार मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित हैं । श्रीमंत ज्योतिराज सिंधिया की रणनीति के कारण भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व ने पुणे बंगाल चुनाव का काम सौंपा है ताकि सन 2024 के चुनाव में लोकसभा की सभी सीटें राज्य से भाजपा को मिलें । श्रीमंत सिंधिया के प्रयास से ना केवल मध्य प्रदेश के छोटे छोटे शहर बल्कि देश के अनेक छोटे से अब दिल्ली से हवाई मार्ग से सीधे जुड़ गये हैं । राजघराने के रहते हुए भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल सहित देश-प्रदेश के कद्दावर वह जमीनी नेता हैं । हमेशा क्षेत्र के विकास के लिए सोचते रहते हैं । श्रीमंत सिंधिया जिस जिस विभाग के मंत्री केन्द्रीय सरकार में रहे इन्होंने ग्वालियर चंबल संभाग सहित प्रदेश में उस बाबा की योजनाओं का ठीक ढंग से क्रियान्वयन कराया, जिसका लाभ इस अंचल को हमेशा मिलता रहेगा । श्री सिंधिया ने ग्वालियर से बंद पड़ी एयरलाइंस सेवाओं को पुणे प्रारंभ करा कर आज ग्वालियर की कनेक्टिविटी पूरे देश से हैं जिस का भरपूर लाभ इस अंचल के लोग हवाई सेवाओं का उठा रहे हैं । क्षेत्रीय विकास के लिए हमेशा चिंतित रहती हैं आम जनता से उनका आखिरी लगाओ रहता है एवं व क्षेत्र की जनता के बीच हर सुख दुःख में उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं ।
राजमाता श्रीमंत सिंधिया से लेकर ज्योति राजे सिंधिया तक राजघरानों की शान ओ शौकत को छोड़कर एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में राजमाता सदा याद की जाती रहेंगी और हम ज्योतिरादित्य सिंधिया से आशा करते हैं कि वे चंबल संभाग और विशेषकर मुरैना के विकास के युग पुरुष बनेंगे ताकि क्षेत्र के युवा युवती से ऊंचा कर देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें।