जर्मनी में सड़कों पर उतरे किसान, सरकार के खिलाफ इस मांग को लेकर कर रहे विरोध प्रदर्शन

Germany Farmers Protest Kisan Andolan Update | Agriculture Subsidy Cuts |  भारत के बाद जर्मनी में किसान आंदोलन: किसानों ने सड़कों पर खाद फैलाई; टैक्स  में दी जाने वाली छूट ...

नई दिल्‍ली । जर्मनी में पिछले कुछ दिनों से किसान लगातार सड़कों पर उतकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगहों पर किसानों ने हाइवे को जाम कर दिया है और डीजल पर सब्सिडी को खत्म करने के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। दरअसल, जर्मनी की सरकार ने बचत करने के लिए किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी घटाने की बात कही। इसके तहत सरकार ने कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले डीजल पर दिया जाने वाला पार्शियल (आंशिक) टैक्स रीफंड और कृषि के लिए इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों-ट्रैक्टर, ट्रक पर टैक्स में दी जाने वाली छूट खत्म करने का फैसला किया।

यह बात किसानों को पसंद नहीं आई और वो इसका विरोध करने लगे। किसान संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर उन्हें मिलने वाली सब्सिडी वापस ली गई, तो वे देशभर में प्रदर्शन करेंगे। इसी के साथ 18 दिसंबर 2023 से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन, जो अभी भी जारी है। ताजा अपडेट के मुताबिक किसानों ने जर्मनी के म्यूनिख, बर्लिन समेत कई शहरों में हाईवे और सड़कें जाम कर दी। सड़कों पर खाद भी फैला दी।

ट्रैक्टर के साथ प्रदर्शन

हड़ताल के कारण 7 जनवरी से ही बड़ी संख्या में किसान बर्लिन आने लगे थे। यहां ऐतिहासिक ब्रैंडनबुर्ग द्वार के पास किसानों ने बड़ी संख्या में ट्रैक्टर खड़े किए हैं। आमतौर पर सोमवार की सुबह ट्रैफिक से भरी सड़कें ट्रैक्टरों से पटी हैं और किसान उनके हॉर्न बजाकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।

बर्लिन पुलिस ने बताया कि 8 जनवरी को सुबह 10 बजे तक उन्होंने प्रदर्शन में भाग ले रहे 566 ट्रैक्टर, ट्रक, गाड़ियां और ट्रेलरों की गिनती की है। देशभर में ऐसे सैकड़ों प्रदर्शन जारी हैं। उत्तरी और पूर्वी जर्मनी में भी कई जगहों पर यातायात और जनजीवन प्रभावित होने की खबर है। कई जगहों पर किसानों की रैलियां भी प्रस्तावित हैं।

कटौती की वजह क्या है?

बीते दिनों बजट की घोषणा करते हुए सरकार ने बड़े स्तर पर कटौती करने की घोषणा की थी। इस प्रस्तावित कटौती के तहत सरकार करीब 6,000 करोड़ यूरो की बचत करना चाहती है। इस फैसले की पृष्ठभूमि में कोविड-19 के दौरान संसद द्वारा मंजूर किए गए क्रेडिट्स है। इस फंड का जो हिस्सा इस्तेमाल नहीं हुआ था, उसे 2021 में सरकार ने विशेष फंड में स्थांतरित कर दिया था।
नवंबर 2023 में फेडरल कॉन्स्टिट्यूशन कोर्ट ने फैसला दिया कि महामारी से जुड़े फंड को किसी अन्य मद में इस्तेमाल करना असंवैधानिक है। इस फैसले के बाद सरकार के आगे बजट का गंभीर संकट खड़ा हो गया और बचत की अनिवार्यता पैदा हो गई।