संगम नगरी में तीन विभूतियों के संगम ने बुना श्रीराम मंदिर निर्माण का ताना-बाना

-आरएसएस सर संघचालक रज्जू भैया, विहिप के अशोक सिंहल और भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी की बनाई रणनीति से निर्माण तक पहुंचा राम मंदिर

अयोध्या। अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि पर निर्मित हो रहे मंदिर आंदोलन का प्रयागराज की धरती से गहरा सम्बन्ध रहा। स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक रहे स्व. डॉ. राजेंद्र सिंह उर्फ़ रज्जू भैया, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संरक्षक रहे स्व. अशोक सिंघल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी ये वो तीन नाम हैं जो संगम की धरती पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं। निष्ठावान कार्यशैली और प्रभु श्रीराम के प्रति समर्पण ने इन्हें श्रीराम मंदिर आंदोलन का नायक बना दिया।

इन तीनों विभूतियों को ईश्वर ने भले ही अलग अलग जिलों और स्थानों पर जन्‍म दिया, लेकिन इन्हें एक ही सूत्र में पिरोना मुनासिब समझा। ये किसी न किसी तरह से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन से जुड़ गये और मंदिर आंदोलन को ऊर्जस्वित किया। संगम नगरी में हुए इन पुरोधाओं के संगम ने नव्य, भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर निर्माण का ताना-बाना बुन दिया।

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जन्मी इन महान आत्माओं ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय संगम नगरी में बिताये। किसी ने इसे अपनी कर्म स्थली बनाई तो कोई यहाँ शिक्षा ग्रहण करने आया और यहीं का होकर रह गया। 20 वर्षों तक विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व निभाने और 1990 व 1992 में देश भर से 50 हजार कारसेवकों को श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जोड़ने वाले अशोक सिंघल ने वर्ष 1950 में बनारस स्थित इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अब आईआईटी) से धातुकर्म से इंजीनियरिंग करने आये थे, लेकिन इसी दौरान इनकी मुलाकात प्रो. राजेंद्र सिंह से हुई। प्रगाढ़ता और वैचारिक एकता बढ़ी। वर्ष 1942 में मूलतः बुलन्दशहर जन्मे प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) ने इन्हें आरएसएस से परिचित कराया और कालांतर में ये संघ से जुड़ गये। आजीवन अविवाहित रह समाज और राष्ट्रसेवा को संकल्पित हो गये।

इधर, विज्ञान विधा के जानकार व प्रयागराज को अपनी कर्मस्थली बना चुके प्रो. राजेंद्र सिंह उर्फ़ रज्जू भैया भी बाद के दिनों में आरएसएस के सर संघचालक बने। सिंघल रूपी एक विश्वसनीय कार्यकर्ता को पुनः मार्गदर्शक का साथ मिल गया। जन्मभूमि मंदिर आंदोलन परिणति की ओर बढ़ चला। उधर, कुमायूँ क्षेत्र के मूल निवासी और दिल्ली में जन्मे डॉ. मुरली मनोहर जोशी का कार्य क्षेत्र भी प्रयागराज ही था। वे यहाँ भौतिकी के शिक्षक थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के दिनों यानी वर्ष 1980 से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले जोशी भी श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के राणनीतिकारों में शामिल रहे। 1991 से 1993 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके जोशी ने इनके साथ मिलकर अयोध्या में निर्मित होने वाले श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन को परवान चढ़ाने की सफल रणनीति बनाने में सहायक हुए तथा नव्य, भव्य व दिव्य मंदिर निर्माण का ताना-बाना बुन दिया।